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जानिए क्या है गोमती चक्र माला के अचूक लाभ (Benefits Of Gomati Chakra Mala)

गोमती चक्र माला - Gomati Chakra Mala  Gomati Chakra Mala को संस्कृत में धेनुपदी कहा जाता है।  यह Gomati Chakra समुद्र में पाया जाता है। दक्षिण भारत में इसे Gomati Chakra कहा जाता है। पौराणिक काल में यह यज्ञवेदी के चारो ओर लगाया जाता था। राज तिलक के समय इसे सिंहासन के ऊपर छत्र पर लगाया जाता था। Gomati Chakra से अंगूठी व माला भी बनाई जाती है। इस को अगर आप गौर से देखते है। तो इसमें हिन्दी का 7 अंक लिखा दिखाई देता है, जो राहु का अंक है। और इससे धारण करने से राहु वश में रहेता है। जल में पाये जाने के कारण यह चंद्र गुणों से परिपूर्ण राहु-चंद्र की युति हो तो इसे अवस्य धारण करना चाइये। Gomati Chakra को आज भी कई गांवों में पशुओं के गले में गोमती चक्र को लाली कपड़े में बांध कर पहना देते हैं। और बहुत से किसान अपने खेत के चारो कोनो में इसे दबा देते हैं। यह आपको कही भी सरलता से बहुत ही कम कीमत में मिल जाता है। यह आपको पूजन सामग्री बेचने वाली दुकानों में भी मिल सकता है। ज्योतिष के अनुसार Gomati Chakra Mala को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है। इसकी सहायता से जीवन की किसी भी समस्या से म

जानिए कैसे करें गोमती चक्र माला का प्रयोग और गोमती चक्र माला की पूजा?

गोमती चक्र माला - Gomati Chakra Mala  Gomati Chakra प्राकृतिक तरीके से प्राप्त होता है, यह Gomati  नदी से प्राप्त किया जाता है यह समुद्र में द्वारका (गुजरात, भारत) से मिलता है| Gomati Chakra की आकृति ऐसी होती है जिसमे एक भाग ऊपर उठा होता है और दूसरा भाग समतल होता है | और समतल भाग पर Chakra के रूप में धारिया बनी होती है, इसलिए इसे Gomati Chakra  कहा जाता है | Gomati Chakra  भगवान कृष्ण के सुदर्शन Chakra जैसा दिखता है। यह एक यंत्र के रूप में प्रयोग किया जाता है और इसका प्रयोग पूजा में भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों के पास  Gomati Chakra  है, उन्हें पैसे, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि से आशीर्वाद मिलेगा। यह माना जाता है कि बच्चों की रक्षा करना,  Gomati Chakra Pendant  पहनना बच्चों को बुरी आंखों और नज़र दोष से बचाता है। कुछ लोग इमारतों की नींव में  Gomati Chakra  को दफन करते हैं क्योंकि यह लंबे जीवन और समृद्धि माना जाता है। कुछ लोग इसे शांति और समृद्धि के लिए घर, दुकानों और इमारतों के सामने लटकते हैं।  Gomati Chakra  उंगली के छल्ले शुद्ध चांदी में बने ह

पितृ दोष के लक्षण और निवारण उपाय: Pitra Dosh Ke Lakshan Aur Nivaran Upay

Pitra Dosh  Nivaran Aur Lakshan  : ज्योतिष में सूर्य को पिता का कारक व मंगल को रक्त का कारक माना गया है। अतः जब जन्मकुंडली में सूर्य या मंगल, पाप प्रभाव में होते हैं तो पितृदोष का निर्माण होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, उसके लिए श्राद्ध पक्ष का समय विशेष होता है क्योंकि इन 16 दिनों में पितृ दोष निवारण उपाय करने से पितृ दोष से शीघ्र मुक्ति मिलना संभव है। जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यहां हम ऐसे कुछ लक्षण बता रहे है जो जातक की कुंडली में पितृ दोष होने की और इशार करते है पितृ दोष के लक्षण (Pitra Dosh Ke Lakshan) 1. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है उनके यहां संतान होने में समस्याएं आती हैं। कई बार तो संतान पैदा ही नहीं होती और यदि संतान हो जाए तो उनमें से कुछ अधिक समय तक जीवित नहीं रहती। 2. पितृ दोष होने के कारण ऐसे लोगों को हमेशा धन की कमी रहती है। किसी न किसी रूप में धन की हानि होती रहती है। 3. जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उनकी शादी होने में कई प्रकार की समस्याएं आती हैं।   पित

Purnima Ke Upay | Purnima Ke Totake |

Purnima Ke Upay | Purnima Ke Totake  पूर्णिमा या पूनम के दिन चंद्रमा अपने पुरे  आकर में होते है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा का विशेष प्रभाव होता हैं। साथ ही यह दिन माता लक्ष्मी को भी विशेष प्रिय होता है। पूर्णिमा के दिन किये गए उपायों का विशेष और ही जल्द लाभ होता है। शास्त्रों में पूर्णिमा को करने योग्य  बहुत से उपाय और टोटके बताये गए हैं। आइये जानते है कुछ ऐसे ही उपाय – Purnima Ke Upay शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए यदि आप धन की इच्छा रखते हैं तो तो इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से करके  पीपल के पेड़ के नीचे मां लक्ष्मी का पूजन करें और लक्ष्मी को घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें। इससे लक्ष्मी की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी।  पूर्णिमा की रात में घर में महालक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा किसी ब्राह्मण से करवाएंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा। प्रत्येक पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा के उदय होने के बाद साबूदाने की खीर मिश्री डालकर बनाकर माँ लक्ष्मी जी का भोग लगाकर उसे प्रस

Amir Banne Ke Tarike Hindi Mei

श्री कृष्ण भगवान विष्णु  के आठवें अवतार कहलाते है,  श्री कृष्ण  का लीलामय जीवन अनेक प्रेरणाओं और मार्गदर्शन से भरा हुआ है इसलिए भगवान श्री कृष्ण  ( Bhagwan krishna) के भक्त न केवल सिर्फ़ भारत में बल्कि पुरे संसार में फैले हुए है. उनके भक्तो की संख्या करोड़ो अरबो में है यही कारण है की माता यशोदा के लाला श्री कृष्ण के मंदिर भारत के अलावा विदेशो में भी स्थापित है. क्या है  Amir Banne Ke Tarike हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के सिर्फ दो ही अवतार थे जिन्होंने देश-दुनिया में प्रसिद्धि पायी थी जो थे सातवें अवतार श्री राम व आठवें श्री कृष्ण . इनके अलावा भगवान विष्णु के अन्य अवतारों को सिर्फ वे ही जानते है जिनके पास हिन्दू धर्म के धर्मिक गर्न्थो का ज्ञान हो. आखिर क्या कारण है की भगवान श्री कृष्ण और श्री राम के देश-विदेशो में अनेक भक्त फैले है ? कारण तो अनेक है परन्तु जो मुख्य कारण है वह है दोनों के दवारा दिए गए जीवन उपयोगी संदेश जो भक्तो के जीवन में मार्गदर्शक का कार्य करते है. इसके साथ ही श्री राम और श्री कृष्ण का जीवन ही एक बड़ी मिसाल है जिनके उपदेश भक्तो के लिए संदेश का काम कर

Types of Kaal Sarpa yog and Dosh

KAAL SARP YOG AND DOSH काल सर्प  दोष या योग   Kaal Sarp dosh किसी के कुंडली में गंभीर स्थिति है। हिंदू ज्योतिष के अनुसार, जब सभी सात ग्रहों को छाया ग्रहों राहु और केतु के बीच घिरा हुआ है, काल सर्प  योग बनता  है। राहु नाग का सिर है जबकि केतु नागिन की पूंछ है KAAL SARP YOG IN HOROSCOPE किसी के कुंडली में काल सर्प  योग की उपस्थिति बहुत हानिकारक है। उस  व्यक्ति के जीवन के हर पहलू को नुकसान पहुंचाता है। वास्तव में, इसका प्रभाव यह है कि यह काल सर्प  योग Kaal Sarp Yog  के प्रभावों के कारण कुंडली में व्यक्ति को दुर्भाग्यपूर्ण और यहां तक कि अच्छी ग्रहों की स्थिति के साथ भी, कोई प्रभाव अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता है। यह अनावश्यक समस्या और  देरी बनाता है।  कैसे करे  Kaal Sarp Dosh Nivaran पूजा घर में | PARTIAL KAAL SARP YOG हिंदू ज्योतिष के अनुसार, जब सभी सात ग्रह राहु और केतु की धुरी के समान तरफ होते हैं, और दूसरी तरफ एक भी ग्रह नहीं होता है तो 'पूर्ण' काल सर्प  दोष Kaal Sarp Dosh    बनता है। यदि ऐसा होता है कि एक ग्रह राहु और केतु की धुरी के दूसरी तरफ है, तो यह काल

What Is Vastu?

What Is Vastu? Vastu Shashtra is AN ancient and vital facet of design as per Indian science. It helps in planning the layout and constructions of buildings, homes, workplace areas, colleges etc., creating it a congenial place or setting to figure in and live at. It uses scientific techniques, keeping in mind the laws of nature, parts in our universe and energy fields to make sure improvement in health, wealth, prosperity, success and happiness.  Vastu may be a science that brings along art, astronomy, star divination and science. several claim it to be AN ancient science of mysticism that was wont to build and style buildings. If one is facing unforeseen issues, Vastu Shastra will facilitate improve life and remedy things that inflicting issues. Vastu Shastra may be a science of directions that takes into thought all 5 parts – earth, water, air, hearth and house. victimization these they balance needs of man and material. It uses the Panchabootas in nature to require