Skip to main content

जानिए क्या है स्फटिक माला का महत्व

स्फटिक माला का महत्व - Importance Of Sphatik Mala

Sphatik Mala शक्ति का प्रतीक है। लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा जाप के लिए यह माला उतम है तथा गायत्री मंत्र के लिए भी सर्वोतम है। इसके जप करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है, और क्रोध शान्त होता है। देवी जाप के लिए स्फटिक माला से मंत्र शीघ्र सिद्ध हो जाता है। उच्च रक्तचाप के रोगियों को व क्रोध शान्ति के लिए यह माला अचूक है। इसे फिटकरी भी कहा जाता है। सामान्यत: यह काँच जैसा प्रतीत होता है, परंतु यह काँच की अपेक्षा अधिक दीर्घजीवी होता है। कटाई में काँच के मुकाबले इसमें कोण अधिक उभरे होते हैं। इसकी प्रवृत्ति ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है। स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है।

स्फटिक शुक्र ग्रह से सम्बंधित होता है यदि व्यक्ति इसकी माला को धारण करता है तो वह शुक्र ग्रह के हानिकारक प्रभाव से बच सकता है। यह माला एकाग्रता, सम्पन्नता और शान्ति की माला मानी जाती है। माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी के मन्त्र इस माला से जपना उत्तम होता है। धन प्राप्ति और एकाग्रता के लिए स्फटिक की माला धारण करना भी अच्छा होता है। माता लक्ष्मी की उपासना के लिए स्फटिक की माला शुभ मानी गई है। स्फटिक पंचमुखी ब्रह्मा का स्वरूप है। मां लक्ष्‍मी और संसार के रचयिता ब्रह्मा जी की कृपा पाने के लिए इस माला का प्रयोग लाभकारी माना जाता है।


क्या महिलाएं भी स्फटिक माला पहन सकती हैं

Can Ladies Also Wear Sphatik Mala

Sphatik की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह माला पहनने वाले किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है। PanditBooking के अनुसार यह माला इंसान से भूत प्रेत और नकारात्मक शक्तिओं को दूर रखती है | कई प्रकार के आकार और प्रकारों में स्फटिक मिलता है। इसके मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों के लिहाज से लोकप्रिय है। इसे पहनने मात्र से ही शरीर में इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है। Sphatik Mala के मणकों से रोजाना सुबह लक्ष्मी देवी का मंत्र जप करने से आर्थिक तंगी का नाश होता है। Sphatik के शिवलिंग की पूजा-अर्चना से धन-दौलत, खुशहाली और बीमारी आदि से राहत मिलती है तथा सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती हैं।

Sphatik Mala ke Benefits :

  • Sphatik Mala पर सरस्वती मंत्र का जप करने से सिद्धि शीघ्र प्राप्त होती है तथा मां सरस्वती की कृपा से विद्या-बुद्धि बढ़ती है। इस माला पर शुक्र ग्रह के मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
  • स्फटिक की माला शान्ति कर्म और ज्ञान प्राप्ति के लिए पहननी चाहिए।  
  • माँ सरस्वती व भैरवी की आराधना के लिए स्फटिक माला श्रेष्ठ होती है।
  • देवी जाप के लिए स्फटिक माला से मंत्र शीघ्र सिद्ध हो जाता है। उच्च रक्तचाप के रोगियों को व क्रोध शान्ति के लिए यह माला लाभकारी है। 
  • मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में, तथा सुख-शांति के लिए Sphatik Mala पहननी चाहिए।

Read More : Kamal Gatta Mala benefits

यह भी पढ़े : Tulsi Mala Ke labh Or Upay

Comments

Popular posts from this blog

Lord Shiva quotes and mahakal status

lord shiva Mainne Kaha: Aparaadhee Hoon Main,  👉🏾Mahadev Ne Kaha: "Kshama Kar Doonga"  👤Mainne Kaha: Pareshana Hoon Main,  👉🏾 MahadevNe Kaha: "Sambhaal  Loonga  "  👤Main Kaha: Akela Hoon Main  👉🏾 Mahadev Ne Kaha: 'Saath Hoon Main "  👤Aur Mainne Kaha:" Aaj Bahut Udaas Hoon Main "  👉🏾 Mahadev Ne Kaha:" Najar Utha Ke To Dekh, Tere Aas Paas Hoon Main ...! " Lord Shiva images , Shiva Wallpaper  ,  Lord Shiva quotes and mahakal status ., Lord shiva hd wallpaper ,\ Lord Shiva Yoga Wallpaper , Lord Shiva , Lord Shiva angry images hd   ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।। ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं ह शिव की शक्ति, शिव की भक्ति, ख़ुशी की बहार मिले, शिवरात्रि के पावन अवसर पर आपको ज़िन्दगी की एक नई अच्छी शुरुवात मिले!   Lord Shiva images , Shiva Wallpaper  ,  Lord Shiva quotes and mahakal status ., Lord shiva hd wallpaper ,\ Lord ...

Purnima Ke Upay | Purnima Ke Totake |

Purnima Ke Upay | Purnima Ke Totake  पूर्णिमा या पूनम के दिन चंद्रमा अपने पुरे  आकर में होते है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा का विशेष प्रभाव होता हैं। साथ ही यह दिन माता लक्ष्मी को भी विशेष प्रिय होता है। पूर्णिमा के दिन किये गए उपायों का विशेष और ही जल्द लाभ होता है। शास्त्रों में पूर्णिमा को करने योग्य  बहुत से उपाय और टोटके बताये गए हैं। आइये जानते है कुछ ऐसे ही उपाय – Purnima Ke Upay शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए यदि आप धन की इच्छा रखते हैं तो तो इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से करके  पीपल के पेड़ के नीचे मां लक्ष्मी का पूजन करें और लक्ष्मी को घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें। इससे लक्ष्मी की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी।  पूर्णिमा की रात में घर में महालक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा किसी ब्राह्मण से करवाएंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा। प्रत्येक पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा के उदय होने के बाद साबूदाने की खीर मिश्री डालकर बनाकर माँ लक्ष्मी ...

कैसे हुई थी राधा की मृत्यु, श्रीकृष्ण ने क्यों तोड़ दी थी बांसुरी?

Radha Rani जब भी प्रेम की मिसाल दी जाती है तो श्रीकृष्ण-राधा के प्रेम की मिसाल सबसे पहले आती है.   राधा-श्रीकृष्ण के प्रेम   को जीवात्मा और परमात्मा का मिलन कहा जाता है. राधा श्रीकृष्ण का बचपन का प्यार थीं. श्रीकृष्ण जब 8 साल के थे तब दोनों ने प्रेम की अनुभूति की. राधा श्रीकृष्ण के दैवीय गुणों से परिचित थीं. उन्होंने जिंदगी भर अपने मन में प्रेम की स्मृतियों को बनाए रखा. यही उनके रिश्ते की सबसे बड़ी खूबसूरती है.   Kya hai RadhaAshtami? कहा जाता है कि श्रीकृष्ण को केवल दो ही चीजें सबसे ज्यादा प्रिय थीं. ये दोनों चीजें भी आपस में एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई थीं- बांसुरी और राधा. कृष्ण की बांसुरी की धुन ही थी जिससे राधा श्रीकृष्ण की तरफ खिंची चली गईं. राधा की वजह से श्रीकृष्ण बांसुरी को हमेशा अपने पास ही रखते थे. भगवान श्रीकृष्ण से राधा पहली बार तब अलग हुईं जब मामा कंस ने बलराम और कृष्ण को आमंत्रित किया. वृंदावन के लोग यह खबर सुनकर दुखी हो गए. मथुरा जाने से पहले श्रीकृष्ण राधा से मिले थे. राधा, कृष्ण के मन में चल रही हर गतिविधि को जानती ...